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          मेरे बारे में कुछ जानकारी      



 प्रिय स्वजातीय बंधुओं,

                                 मेरा नाम गोविंदा लाटिया है ,मै ग्राम हाटकोंदल सर्किल हाटकोंदल ब्लाक दुर्गूकोंदल का रहने वाला हूँ | मै  शासकीय संस्था पर कार्य रत हूँ वैसे तो मै कभी भी कंप्यूटर की कक्षा में पढाई करने तो नहीं गया हूँ किन्तु मुझे तकनिकी की दुनिया बहुत पसंद है इसी लिए मैंने सोंचा की मै अपने हल्बा समाज के बारे में ऑनलाइन जानकारी साझा करू |
                                                   जैसा कि हम सभी जानते है कि वर्तमान समय टेक्नोलोजी का समय है जहाँ सभी लोग अपनी पर्सनल लाइफ में व्यस्त है| सभी के अपने अपने काम है| और सभी उन्हे पूरा करने में प्रयत्नशील है| इन सबके साथ साथ हमारे कुछ साथी भी है| जैसे मित्र गण, भाई-बंधु और परिवार के सदस्य इत्यादि | जो हमारी जिन्दगी के लिए बहुत जरूरी है| इनके साथ हम अपनी खुशियाँ बाँटते है| तथा ये सभी हमारे दुख में भी साथ रहते है| इन सभी से हमारी लाइफ बहुत सरल और आनन्दमय हो जाती है| और इन सभी के बीच एक बंधन और होता है| जिसे समाज कहते है| समाज भी एक तरह का परिवार ही है| जो हमारे सुख और दुखः में हमारे साथ रहती है|
                                     परन्तु आज के व्यस्ततम् समय में अब समाज का महत्व कम होता जा रहा है| जिसका प्रमुख कारण आज का ग्लोबलाइजेशन है| वर्तमान समय में लोगो का सीमा क्षेत्र व्यापक हो गया है| इस व्यापक क्षेत्र में समाज के लिए पर्याप्त समय निकालना आसान नही रह गया है|
                                        समाज का महत्व कम होने का दूसरा प्रमुख कारण संयुक्त परिवारो का टूटना तथा एकल परिवारो का बढ़ना है| क्योकि संयुक्त परिवारो में घर के बुजुर्ग लोग सामाजिक कार्यों को देखते थे| और युवा सदस्य परिवार की आर्थिक स्थिती संभालते थे| लेकिन आज एकल परिवार में एक ही इंसान पर आर्थिक और सामाजिक स्थिती की जिम्मेदारी है| अतः समाज के लिए पर्याप्त समय निकालना आसान नही है|
                                               यदि हम आज के व्यस्ततम् समय की बात करें तो आज हम हमारे अपने शहर के ही सभी समाज बंधुओं को नही पहचानते, अन्य शहरो के समाज बंधुओ की तो बात ही छोड़िए| चूंकि हम सभी के यहाँ प्राचीन काल से ही शादी विवाह जैसे महत्व पूर्ण रिश्ते अपनी समाज में ही तय किए जाते रहे है| अब समाज के लोगों से ज्यादा जान पहचान तो होती नही, जिसके कारण सामान्यत: लोगों के लिए नए रिश्ते ढूड़ना आसान नही रह गया है| जिसके फलस्वरूप लोग अपने रिस्तेदारों तथा दलालों पर निर्भर होने लगे है|
                                                      हालाँकि कुछ समय से इस समस्या से निपटने के लिए समय समय पर परिचय सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है| परन्तु सामान्यत: यहाँ भी कम सफलता ही हाथ लगती है| क्योकि 4 घंटे के परिचय सम्मेलन मे कोई कितने अनजान लोगों से जान पहचान कर सकता है| आज का युवा, जो स्वयं आत्मनिर्भर है, को भी अनजान जगह और अनजान लोगों से रिश्ता जोड़ना ठीक नही लगता है| इसलिए बड़े बड़े शहरो में अन्तर जातीय विवाह भी तेजी से बढ़ रहे है| और यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में समाज का महत्व दिनों दिन और कम होता जाएगा |
                                                   यदि हमें हमारी समाज के महत्व को बनाए रखना है तो सबसे पहले हमें समाज को संगठित करके रखना होगा| जिसके लिए हमें समय समय पर समाज के लोगों के बीच समाज मिलन समारोह करवाने चाहिए| जिसका उद्देश्य केवल शादी विवाह कराना न होकर समाज के लोगों के बीच जान पहचान और भाईचारा बढ़ाना भी हो| जिसमे कल्चरल एक्टीविटी तथा क्विज प्रतियोगिता भी शामिल होनी चाहिए| समय समय पर समाज की पत्रिका आदि प्रकाशित की जानी चाहिए जिसमें सभी समाज बंधुओं की उपस्थिती हो| कुछ शहरों में ये उपाय अपनाए भी जाने लगे है| जो एक सराहनीय पहल है|
                                       परन्तु आज के व्यस्ततम् समय में ये उपाय सभी शहरों की समाज को संगठित करने में पर्याप्त साबित नही हो रहे है| यदि इंटरनेट की मदद् से समाज को संगठित करने के प्रयत्न किए जाए तो हमारी समस्या का समाधान बड़ी आसानी से किया जा सकता है| क्योंकि इस नई सदी के व्यस्ततम् समय में इंटरनेट ही एकमात्र साधन है जिसकी मदद से हम बिना समय खर्च किए देश के सभी शहरो के समाज बंधुओं से जान पहचान कर सकते है|
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु मैं अपने समाज के लिए  छ0ग0हल्बा समाज की वेबसाइट को शुरू किया हूँ |
                                  क्योकि इंटरनेट पर हम समाज की वेबसाइट को देश के किसी भी शहर से किसी भी समय विजिट कर सकते है या खोल कर देख सकते है| तथा जिस पर हम अपने घर से ही इंटरनेट पर सभी शहरो के समाज बंधुओं के सम्पर्क में रह सकते है| अतः समाज के सभी लोगो को वेबसाइट पर अपने पूरे परिवार के साथ से जुढ़ना चाहिए | ताकि आप एवं सभी शहरो के समाज के सदस्य आपस में सम्पर्क मे रह सकें|
                                             अगर आपको लगता है कि आप अपनी बाते या सुझाव इस ब्लॉग के माध्यम से साझा करना चाहते तो नि : संकोच आप हमें अपनी लेख संप्रेषित कर सकते है | हम आपके लेख को ब्लॉग पोस्ट प्रकाशित करेंगे | और जी हा अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा तो FOLLOW और SEAR करना न भूलें |
                              ****धन्यवाद****                                      आपका सगाजन 
                                                                                              गोविंदा लाटिया      

4 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी मूल संस्कृति को बचाए रखना हर शिक्षित सगजनों का कर्तव्य है। वर्तमान समय में हमारी संकृति में काफ़ी घालमेल हो चुका है।
    जैसे कि पुजा पद्धति, मान्यता और संस्कार।जिसका मूल स्त्रोत प्रकृति है।
    जबकि हमारी अधिकांश आबादी दूसरे समुदायों की अंधाधुंध अंधानुकरन करने में लिप्त है। बजाय जबकि हमारी पूर्वजों द्वारा हमें हस्तांतरित कस्टमेरी लॉ इसकी इजाज़त नहीं देती। वरना एक दिन हम अपनी मूल पहचान को भी खो देंगे और हासिए पे धकेल दिए जायेंगे।
    अगर सर्व सगाजन शिक्षा के राह पर चल पड़े हैं तो बिल्कुल अब इन बातों पर चिंतन कर आगे बढ़ने का समय आ चुका है।
    जय जोहर,
    जय भीम,
    जय संविधान।


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