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गुरुवार, 13 सितंबर 2018

एक मिसाल इमानदार नेत्तृव की / ek misal imandar netritv ki

एक मिसाल इमानदार नेत्तृव की




नाम - श्री  झाडूराम रावटे               
पिता - स्व. श्री हटोईराम रावटे 
जन्मतिथि एवम् स्थान - १० फ़रवरी , १९२८ / संबलपुर 
निधन - २६ जनवरी १९९८ 
शैक्षणिक एवम् व्यावसायिक योग्यता - मैट्रिक 
वैवाहिक - कृषि 
अभिरूचि - जनसेवा 
भाषाओं का ज्ञान - हल्बी , हिंदी , छ्त्तीसगढी 
स्थायी पता - ग्राम / पो. - संबलपुर , तह. - भानुप्रतापपुर , जिला - बस्तर 
                                                         आप आदिवासी नेतृत्व के तीनो गुण ईमानदारी , साहस और जागरुकता से सदैव ओत - प्रोत रहे है जिसके वजह से सभी जानों के बीच आप नेता के नाम से लोकप्रिय रहे और इसी लोकप्रियता के चलते ३२० सीट वाली मध्यप्रदेश विधान सभा में २ बार , एक बार झोपडी और दुसरी बार मुर्गा छाप में एक मात्र स्वतंत्रत उम्मीदवार के रूप में चुनकर भानुप्रतापपुर के विधयाक रहे है |
                                                                                                         जो लोग आज आदिवासी  नेतृत्व के लिए ढोंग करते है उन्हें श्री झाड़ूराम रावटे के जीवन चरित्र से सिख लेना चाहिए, कि ईमानदारी भी कोई चीज होती है ? और आप में ईमानदारी इतना था कि आपने कभी धन संग्रह नहीं किया
आपने अपने नाम पर ना  कोई बैंक बैलेस रखा और ना कोई फ्लैट रखा | आपने एक मात्र प्लाट जो भानुप्रतापपुर में स्थित है शासकीय तौर पर आबंटित है | और आपने जीवन काल में सक्षम होतो हुए भी इस पर कई बंगला या फ्लैट नही बनाया | और आप न केवल एक साधारण जीवन जिये बल्कि आप सदैव ही सम्पूर्ण आदिवासी समुदाय के लिए बिना किसी भेदभाव के दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनके विधिक , मौलिक , संवैधानिक  एवम् मानवीय अधिकारों के लिए समर्पित  रहे है तथा अपना सब कुछ जरुरतमंदो के लिए कुर्बान कर दिया |जो आज बेहद प्रासंगिक और हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है |
                                                                                  छत्तीसगढ़ के उन महान विभूतियों मा.श्री दुलार सिंग भोयर जी ,ग्राम - चिखलाकसा (दल्ली राजहरा )मा.श्री जी .आर .कोमिया जी बालोद  मा. गंगोत्री बाई करपाल चवेला (भानुप्रतापपुर ) मा. लक्ष्मी बाई कोठारी ग्राम -खैरवाही (दल्ली राजहरा ) को समर्पित है जिन्होंने आजीवन आम आदिवासी हल्बा समुदाय के एकता,अखंडता ,और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांत -समता ,स्वतंत्रता ,न्याय व भाईचारा के लिए कम किये और अब भी कर रहे है |  



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